mai sabse chhoti hu class 6 | मैं सबसे छोटी होऊँ class 6

mai sabse chhoti hu class 6 | मैं सबसे छोटी होऊँ


पाठ -13

मैं सबसे छोटी होऊँ 



 

 ध्वनि प्रस्तुति 


mai sabse chhoti hu audio 





Q&A

mai sabse chhoti hu poem question answer



प्रश्न 1: कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना क्यों की गई है?

उत्तर :कविता ”मैं सबसे छोटी होऊँ” में सबसे छोटी होने की कल्पना की गई है। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि छोटों को, माता-पिता तथा बड़ों का स्नेह ज़्यादा मिलता है। माँ के साथ उसका जुड़ाव ज़्यादा रहता है।

प्रश्न 2: कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मै’ क्यों कहा गया है?

उत्तर : कविता में यह बात इसलिए कही गई है क्योंकि वह अधिक समय तक माँ के साथ रहना चाहती है। बड़े हो जाने से माँ का स्नेह भी बच्चों से दूर हो जाता है।

प्रश्न 3: कविता में किसके आँचल की छाया में छिपे रहने की बात कही गई है और क्यों?

उत्तर : कविता में माँ के आँचल की छाया में छिपे रहने की बात कही गई है, क्योंकि माँ ही बच्चों को सबसे अधिक स्नेह करती है।

प्रश्न 4: आशय स्पष्ट करो-

हाथ पकड़ फिर सदा हमारे 
साथ नहीं फिरती दिन-रात!

उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियों से कवि का आशय है कि जब हम बड़े हो जाते हैं तब बचपन की तरह वह सदा हमारे साथ-साथ नहीं रहती है? जिस प्रकार बचपन में माँ अपने बच्चों को हमेशा अपने साथ-साथ रखती है। बड़े हो जाने पर वह हमेशा हमें सम्भालने के लिए हमारे साथ-साथ नहीं रहती।

प्रश्न 5: ‘पकड़-पकड़कर’ की तरह नीचे लिखे शब्दों को पूरा करो और उनसे वाक्य भी बनाओ-


छोड़–         बना–
फिर–         खिला–
पोंछ           थमा–
सुना            कह–
दिखा–        छिपा–


उत्तर :

  • पकड़ – पकड़कर
  • छोड़ – छोड़कर
  • फिर – फिरकर
  • पोंछ – पोंछकर
  • सुना – सुनाकर
  • दिखा – दिखाकर
  • बना – बनाकर
  • खिला – खिलाकर
  • थमा – थमाकर
  • कह – कहकर
  • छिपा – छिपाकर


प्रश्न 6: इन शब्दों के समान अर्थ वाले दो-दो शब्द लिखो-

हाथ –
सदा –
मुख –
माता –
स्नेह –


उत्तर :

समान अर्थ वाले शब्द –

हाथ – हस्त, कर
सदा – हमेशा, सर्वदा
मुख – मुँह, चेहरा
माता – माँ, जननी
स्नेह – प्रेम, प्यार


प्रश्न 7: कविता में ‘दिन-रात’ शब्द आया है। तुम भी ऐसे पाँच शब्द सोचकर लिखो जिनमें किसी शब्द का विलोम शब्द भी शामिल हो और उनके वाक्य बनाओ।

उत्तर :
(i) सुबह–शाम
तुम सुबह–शाम हर वक्त मुझे परेशान करते रहते हो।
(ii) आगे–पीछे – तुम्हें अपने आगे–पीछे सब देखकर चलना चाहिए।
(iii) ऊपर–नीचे – इस तरह बार-बार ऊपर–नीचे करके अपना समय बरबाद मत करो।
(iv) अच्छा–बुरा – तुम अपना अच्छा–बुरा स्वयं सोच सकते हो।
(v) उल्टा–सीधा – इस तरह के उल्टे–सीधे काम करके तुम बेवकूफ़ी कर रहे हो।
(vi) पाप–पुण्य – धर्म पाप–पुण्य का अर्थ बताता है।


प्रश्न 8: ‘निर्भय’ शब्द में ‘नि’ उपसर्ग लगाकर शब्द बनाया गया है। तुम भी ‘नि’ उपसर्ग से पाँच शब्द बनाओ।

उत्तर :
(i) निराकार
(ii) निर्बल
(iii) निर्गुण
(iv) निकम्मा
(v) निरोग
(vi) निरक्षर
(vii) निसंतान
(viii) निहत्था
(ix) निर्दयता
(x) निडर


प्रश्न 9: कविता की किन्हीं चार पंक्तियों को गद्य में लिखो।

उत्तर :

कभी न छोडूँ तेरा हाथ!
बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे छलती है मात!
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात!

गद्यरूप − माँ तेरा हाथ कभी न छोडूँ। तू पहले हमें बड़ा करती है फिर छलती है। तू हमारा हाथ पकड़कर सदा हमारे साथ नहीं चलती है।

mai sabse chhoti hu bhavarth
mai sabse chhoti hu saransh

 भावार्थ 

प्रस्तुत कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊं’ (main sabse chhoti hun) में एक बालिका अपनी मां की सबसे छोटी संतान बनने की इच्छा रखती है। ऐसा करने से वह सदा अपनी मां का प्यार और दुलार पाती रहेगी। उसकी गोद में खेल पाएगी। उसकी मां हमेशा उसे अपने आंचल में रखेगी, उसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगी। उसे लगता है कि वह सबसे छोटी होगी, तो माँ उसका सबसे अधिक ध्यान रखेगी। सबसे छोटी होने से उसकी मां उसे अपने हाथ से नहलाएगी, सजाएगी और संवारेगी। उसे प्यार से परियों की कहानी सुनाकर सुलाएगी। वह कभी बड़ी नहीं होना चाहती क्योंकि इससे वह अपनी मां का सुरक्षित और स्नेह से भरा आंचल खो देगी।

कविता- 

मैं सबसे छोटी होऊँ
तेरी गोदी में सोऊँ
तेरा आँचल पकड़-पकड़कर
फिरू सदा माँ तेरे साथ
कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ

सारांश- मैं सबसे छोटी होऊं कविता के प्रथम पद में बच्ची कह रही है कि काश मैं अपनी मां की सबसे छोटी संतान बनूं ताकि मैं उनकी गोदी में प्यार से सो सकूँ। प्यार से उनका आंचल पकड़कर, हमेशा उनके साथ घूमती रहूँ और उनका हाथ कभी ना छोड़ूं।


बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे छलती है मात
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात

सारांश- मैं सबसे छोटी होऊं कविता के इस पद में बालिका कह रही है कि जैसे ही हम बड़े हो जाते हैं, मां हमारा साथ छोड़ देती है। फिर वह दिन-रात हमारे आगे-पीछे नहीं घूमती, इसलिए हमें छोटा ही बने रहना चाहिए।


अपने कर से खिला, धुला मुख
धूल पोंछ, सज्जित कर गात
थमा खिलौने, नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात

सारांश- मैं सबसे छोटी होऊं (main sabse chhoti hun) कविता में बच्ची आगे कहती है कि बड़े होने के बाद माँ हमें अपने हाथ से नहलाती नहीं, ना ही सजाती और संवारती है। फिर तो माँ हमें प्यार से एक जगह बिठा कर खिलौनों से नहीं खिलाती और परियों की कहानी भी नहीं सुनाती।

ऐसी बड़ी न होऊँ मैं
तेरा स्नेनह न खोऊँ मैं
तेरे अंचल की छाया में
छिपी रहूँ निस्पृाह, निर्भय
कहूँ दिखा दे चंद्रोदय

सारांश- मैं सबसे छोटी होऊं (main sabse chhoti hun) कविता के अन्तिम पद में बच्ची कह रही है कि मुझे बड़ा नहीं बनना है क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो मैं माँ के आंचल का साया खो दूंगी, जिसमें मैं निर्भय और सुरक्षित होकर आराम से सो जाती हूं। अतः बच्ची हमेशा छोटी ही रहना चाहती है क्योंकि बड़ा होने के बाद उसे मां का प्यार और दुलार नहीं मिल पाएगा।



जय हिन्द : जय हिंदी 
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